खेती का तरीका – पौधों की छँटाई

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वी एन आर बीही के पौधों की छँटाई

प्रूनिंग / छँटाई क्या है

पौधों की शाखाओं को किसी उद्देश्य के लिए काटने की प्रक्रिया को प्रूनिंग /  छँटाई कहते हैं |

उद्देश्य

  1. अधिक फलों के आगमन के लिये
  2. रोग ग्रस्त, सूखी हुई, आड़ी तिरछी शाखाओं को निकालने के लिये
  3. पौधे को अपेक्षित आकार देने के लिये
  4. विस्तृत जड़ वृद्धि के लिये
  5. शाखाओं को मजबूत बनाने के लिये
  6. अधिक फलोत्पादन के लिये

 

 

 

 

 

 

 

 प्रूनिंग \ छँटाई कितने प्रकार की होती है ?

  • मोटी छँटाई Hard Pruning
  • हल्की छँटाई Light Pruning

मोटी छँटाई – इस प्रक्रिया में अँगूठे की मोटाई से अधिक मोटी द्वितीय एवं तृतीय शाखाओं को काटते हैं | इस प्रक्रिया को पौधे को विश्राम देने के लिये वनस्पतिक वृद्धि को नियंत्रित करने के लिये किया जाता है | इस प्रकार की छँटाई करने पर पुष्प अगली ऋतु में आते है (4-5 माह पश्चात ) मोटी छटाई शीत ऋतु के फलो को तोड़ने के पश्चात करते है और कटे स्थान पर बोर्डो मिक्सचर का लेप लगाते है |   

 

 

 

 

 

 

 

हल्की छँटाई – इस प्रक्रिया में पेंसिल की मोटाई की शाखाओं विशेषत: तृतीय शाखाओं को आधी लंबाई पर काटते हैं | जो शाखाये आड़ी तिरछी हो एवं अत्यधिक पास पास हो (6 से 9 इंच) उन्हें भी काट कर सूर्य के प्रकाश एवं हवा के लिए पौधे में सुगमता सुनिश्चित करते हैं |

इस प्रक्रिया के बाद पौधे में नई शाखाये आती है और वर्तमान पुष्पन ऋतु में फूलती \ पुष्पित होती (1-2 माह) है |

 

 

 

 

 

 

 

छँटाई के लिए आवश्यक सामग्री

  1. सिकेटियर (हल्की छँटाई के लिये)
  2. आरी (मोटी छँटाई के लिये)
  3. बोर्डो मिक्सचर \ पेस्ट

 

 

 

प्रूनिंग / छँटाई कैसे करें ?

पौधे की ऊंचाई 4.5  से 5  फीट रखें पौधे का फैलाव चारों दिशाओं में 2 से 2.5 फीट रखें मोटी छँटाई में द्वितीय शाखाओं को आधी लम्बाई पर व तृतीय शाखाओं को पूर्ण रूप से  काट दे |

हल्की छँटाई में तृतीय शाखाओं को (पेंसिल मोटाई) को आधी लंबाई पर व चतुर्थ शाखाओं को पूर्ण रूप से काटे | छँटाई के पश्चात सभी शाखाओं एवं पत्तियों को खेत के बाहर सुव्यवस्थित तरह से निस्तारित करें|

 

 

 

 

पौधे की सभी कटी हुई शाखाओं पर बोर्डो पेस्ट तुरंत ही अवश्य लगाये |

 

 

 

 

 

 

 

 

क्या करें, क्या ना करे

 – करें       – तेज धार की आरी एवं सिक्योरिटी उपयोग करें |

ना करें  – बिना धार की सामग्री का उपयोग न करें |

करें     – आरी एवं सिकेटियर को बीच-बीच में इथेनॉल मे डुबाये |

ना करें – रोग ग्रस्त पौधे को काटने के बाद इसी यंत्र से स्वस्थ पौधे को ना काटे |

करें      – कटाई के पश्चात पत्तियों एवं शाखाओं को खेत के बाहर तुरंत निकाले |

ना करें – कटी शाखाओं और पत्तियों को मिट्टी पर कभी भी ना छोड़े |

प्रश्न हल्की छँटाई के कितने माह पश्चात फल प्राप्त होगा ?

5 से 6 माह, यह खेत के स्थानों वहां की जलवायु एवं स्वास्थ्य प्रबंधन पर भी निर्भर करता है |

प्रश्न मोटी छँटाई के पश्चात फल क्या आने वाली पुष्पन ऋतु में प्राप्त होगा ?

– नहीं, मोटी छटाई के बाद एक ऋतु पश्चात फल प्राप्त होगा जैसे शीत ऋतु फरवरी की छँटाई का फल अगली शीत -ऋतु अथवा शीत ऋतु से ग्रीष्म ऋतु के आगमन के समय पर मिलेगा |

 प्रश्न क्या मैं गर्मी में मोटी छँटाई कर सकता हूं  ?

-नहीं, गर्मी में तापमान बहुत अधिक हो जाता है मोटी छँटाई के पश्चात पौधे पर पत्ते नहीं रहते हो और पूरे पौधे सूर्य के प्रकाश में रहते है इस मौसम में तने एवं डालियो के जलने एवं झुलसने का भय रहता है और ऐसा होने पर पौधे – प्राय: मर जाते है |

प्रश्न प्रूनिंग / छँटाई के पश्चात क्या मिट्टी  में गोबर की खाद / कंपोस्ट मिलाये ?

अवश्य, खाद पूर्णता सड़ी हुई हो एवं १०-१५ किलोग्राम प्रति पौधा दे |