खेती का तरीका – पाले से सुरक्षा

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पाला (Frost) क्या होता है?

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जब वायुमंडल का तापमान 5°C से 0°C या इसके नीचे चला जाता है एवं जिसकी वजह से पौधों की कोशिकाओं के अंदर और ऊपर मौजूद पानी जम जाता है तो उसे पाला कहते हैं। पाले की स्थिति में पौधे की कोशिकाओं में पानी जमकर बर्फ की अवस्था में आ जाता है जिससे पौधे का पोषण रुक जाता है । इसमे पौधों के सूखने की संभावना अधिक है ।
कोहरा (Fog) क्या होता है?

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FOG+in+field&tbm=isch&ved=2ahUKEwi01-W0spr


जब पानी की बूंदें सर्द हवा के साथ ऊपर उठकर, ठंडी होकर कोहरे के रूप में भूमि की सतह पर गिरती है तो इसे कोहरा कहते हैं।
शीतलहर (Cold Wave) क्या होता है?

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www.google.com/search?q=cold+wave+in+field+od&tbm=
isch&ved=2ahUKEwio6rqgtpr_AhVii9gFHSHtBjYQ2


जब किसी भी दिन/ दिनों में तापमान अचानक से कम हो जाता है और सर्द हवा चलने लगती है तो इसे शीत लहर कहते हैं |

सर्दियों के माह में कोहरा, शीतलहर एवं पाला की संभावना रहती है|

शीतलहर व पाला गिरने से फल के वृक्षों को बहुत प्रकार की हानियों का सामना करना पड़ता है इसलिए वी एन आर बीही
के उत्पादकों को इस प्रकार की समस्या से बचने के लिए नीचे कुछ सुझाव दिए गए है जिसके माध्यम से किसान भाई
अपने वी एन आर बीही के बगीचों को पाला व शीतलहर से बचा सकते है| सबसे पहले हमें यह जानना जरूरी है की पाले से
फसलों पर क्या दुष्प्रभाव होता है –

पाले से फसलों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते है

  • पौधे की जड़ें खाद का उपयोग नहीं कर पाती है
  • पोषक तत्वों की कमी एवं अन्य कारणों से पौधे के मरने की संभावना रहती है|
  • पौधे की पत्तियों व फल झड़ने लगते है
  • प्रभावित फसल का हरा रंग (क्लोरोफिल) समाप्त होने लगता है, तथा पत्तियों का रंग मिट्टी के रंग जैसा
  • दिखता है।
  • पाले से गिरे पत्तों एवं फलों में सड़न से बैक्टीरिया जनित व फफूंद जनित बीमारियों का प्रकोप अधिक बढ़ने
  • की संभावना रहती है।
  • पाले से पौधे की वृद्धि रुक जाती है
  • पत्ती, फूल एवं फल सूख जाते है, फल के ऊपर धब्बे पड़ जाते हैं व स्वाद भी खराब हो जाता है।
  • पाले के कारण अधिकतर पौधों के फूलों के गिरने से पैदावार में कमी हो जाती है।

पाले से प्रभावित अमरुद के पौधे

निम्न उपायों के माध्यम से वी एन आर बीही के बगीचे को पाले से बचाने का प्रयास किया जा सकता है

सबसे पहले किसान भाई नवंबर से फरवरी महीने के मौसम की जानकारी को निन्मलिखित लिंक्स पर जाकर देख सकते
है –

https://mausam.imd.gov.in/
https://www.accuweather.com/

अथवा नजदीकी कृषि विज्ञानं केंद्र या कृषि महाविद्यालय से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं

उपरोक्त जानकारी के द्वारा महीने के उन दिनों को चिन्हित करें जिसमे निम्नतम तापमान 5 डिग्री से कम रहने की
संभावना है। इन दिनों में निम्नलिखित प्रयासों से पाले के प्रकोप को कम किया जा सकता है

1. धुएं के द्वारा पाले का प्रभाव कम करना –

5 डिग्री सेल्सियस तापमान से कम वाली रात में उत्तर पश्चिम / या अन्य दिशा से आने वाली हवा की दिशा
में बगीचे के आस पास गोबर के उपले/घास/कूड़ा कचरा सुलगा कर धुएं के द्वारा पाले से बचाव कर सकते है,
रात को तापमान और ज्यादा गिरता है इसलिए किसान भाई यह सुनिश्चित करें कि धुआँ रात से
लेकर सुबह तक रहे ।

 

 

 

 

 

 

 

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2. नवीन व पुराने रोपे गये वी एन आर बिही पौधों को ढकना –

नवीन व पुराने रोपे गए वी एन आर बीही के पौधों को टाट, पॉलिथीन अथवा पराली से ढक कर पाले के
प्रभाव को कम कर सकते हैं।

 

 

3. बगीचे की सीमा को ढकना

वायुरोधी टाटिया को हवा आने वाली दिशा की तरफ से बांधकर बगीचे के किनारों पर लगाएं तथा दिन में
पुनः हटा दें। वायुरोधी टाटियो के रूप में पुरानी साड़ियों अथवा शेड नेट (७०%) का उपयोग कर सकते हैं

4. वायु अवरोधक पेड़

दीर्घकालीन उपाय के रूप में फसल को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे
बेल, मोसम्बी, कटहल जामुन एवं शहतूत, शीशम, बबूल, नीम, आदि लगा दिए जाए, तो पाले और ठंडी हवा
के झोंकों से फसल का बचाव हो सकता है।

5. सर्दियों के माह में बाग प्रबंधन –

  • पौधों में फर्टिगेशन / पोषक तत्वों का दिया जाना बहुत ही महत्वपूर्ण है अतः इसमें किसी भी प्रकार की कमी पौधे को कमजोर बना सकती है जिसकी वजह से पाले में अधिक नुकसान का खतरा बन सकता है, अतः पोषक तत्वों को अवश्य दें|
  • सर्दियों के मौसम में पौधे फ़र्टिलाइज़र को ज्यादा मात्रा में ग्रहण नहीं कर पाते अतः पौधे की पत्तियों पर पोषक तत्वों की कमी के लक्षण अधिक दिखते हैं| इस कमी को दूर करने के लिए किसान भाई फ़र्टिलाइज़र को फोलिअर स्प्रे के रूप में देने की कोशिश करें | फोलिअर स्प्रे में मुख्य पौषक तत्व जैसे नाइट्रोजन फास्फोरस और पौटॅशियम को 19:19:19 ग्रेड एवं माइक्रो न्यूट्रिएंट्स 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर, 10 दिन के अंतराल पर स्प्रे करे |
  • स्प्रे खुली धूप में करना हमेशा ज्यादा लाभ प्राप्त होता है।

6. मल्चिंग

आर्गेनिक अथवा इनऑर्गेनिक मल्चिंग का प्रयोग भी लाभप्रद है| मल्चिंग मिट्टी के तापमान को नियंत्रित
करने और उचित पोषण ग्रहण के लिए मिट्टी की पारिस्थितिकी को बनाए रखने में मदद करता है।

7. सिंचाई

रात मे पाला पड़ने की संभावना हो तब खेत में बोर के ताजे पानी से हलकी सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई करने से
0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तक मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है।

  • सिचाई का समय = शाम (5 – 7 बजे)
  • पानी की आवश्यक मात्रा = 10 – 15 लीटर प्रति पौधा।