खेती का तरीका – टपक सिंचाई

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वी एन आर बीही अमरूद के लिए टपक सिंचाई अथवा ड्रिप की पाइप का स्थानन

  • ड्रिप / टपक सिंचाई की पाइप पौधों के पास फैलाना

वी एन आर बीही की बागवानी में ड्रिप / टपक सिंचाई का बहुत अधिक महत्व है | जहां एक और हम सभी पौधों को एक साथ समान मात्रा में जल से सिंचित कर सकते हैं , वहीं दूसरी ओर हम समान मात्रा में सभी पौधों को उर्वरक या रासायनिक खाद या जैविक खाद भी दे सकते हैं| टपक सिंचाई विधि में जल पौधे के समीप ही गिरता है जो जड़ो की वृद्धि के लिए आवश्यक है सीमित क्षेत्र में पानी गिरने के कारण खरपतवार  भी अधिकांशतः सीमित क्षेत्र में ही होते हैं| यदि हम पाइप से अथवा जलभराव विधि से खेतों को सींचते हैं तो जल एक बड़े क्षेत्र में फैलता है इससे अधिक मात्रा में जल की आवश्यकता होती है और पूरा खेत खरपतवार से भरा रहता है उर्वरक अथवा खाद भी देना और सुविधाजनक एवं खर्चीला होता है| टपक सिंचाई के बगीचे अधिक स्वस्थ एवं ज्यादा उत्पादकता देने वाले होते हैं इसलिए इस तकनीक का उपयोग फायदेमंद है|

  • ड्रिप लाइन पौधे से कितनी पास अथवा दूर रखें

किसी भी पौधे की जड़ों में खाना खाने बनाने वाली जड़ों को फीडर रुट कहते है यह मिट्टी की ऊपरी सतह से 15 -20 इंच की गहराई में विद्यमान रहती है| नमी की उपलब्धता में इनका विकास कुछ क्षेत्र में या पौधे के चारों तरफ रहता है पौधरोपण के बाद बारिश में एक ड्रिप लाइन पौधे के तने के एक तरफ 4- 6 इंच की दूरी पर रखते हैं परंतु शीत ऋतु के पश्चात एक और ड्रिप लाइन बिछाकर तने के दोनों तरफ रखते हैं | चहुँओर नमी की उपलब्धता में जड़ों का विकास चारों तरफ होता है|

पौधे के विकास के अनुरूप ही जमीन के अंदर जड़ो का विकास भी लगातार होता रहता है जैसे-जैसे पौधे का वानस्पतिक क्षेत्रफल बढ़ता है वैसे वैसे हमें ड्रिप लाइन तने से दूर खिसकाते रहना  चाहिये  ड्रिप लाइन से जल की उपलब्धता पौधों के चारों तरफ होने के वजह से एक बड़े क्षेत्र में फीडर जड़ो का विकास होता है, जो पौधे की वृद्धि एवं उत्पादकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है |

पौधरोपण के पश्चात कभी भी ड्रिप लाइन को पौधे के तने के अत्यधिक नजदीक / सटाकर ना रखें अथवा अथवा तने से न बाँधे इससे तने में  कॉलर रॉट नामक बीमारी होने की संभावना रहती है|

वी एन आर बीही के बगीचे में दूसरी ड्रिप लाइन कब और क्यों लगाये  ?

पौधे के चारों तरफ मिट्टी में नमी उपलब्ध कराने के लिए एवं चारों तरफ जड़ों के विकास के लिए यह आवश्यक है ,ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ में (फरवरी) दूसरी ड्रिप लाइन लगाना फायदेमंद है |

वी एन आर बीही के बगीचे में कितने अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिये ?

जलवायु ,मौसम , पौधे की उम्र / फैलाव के अनुसार सिंचाई निर्धारित करना चाहिये ,बिजली की सरल उपलब्धता हो तो ड्रिप दिन में दो बार चलाकर पल्स सिंचाई फायदेमंद है 20 लीटर / दिन =(10 ली.+ 10 ली.)  सिंचाई निर्धारण करने के लिए बेड की मिट्टी थोड़ी सी खोदकर नमी का आकलन आवश्यक है |मिट्टी अगर गेंद बन जाती है और गिराने पर नहीं टूटती तो सिंचाई नहीं करनी चाहिए | यदि टूट जाती है तो नमी कम है और पानी की आवश्यकता  है।